श्री नरसिंह चालीसा | Narsingh Chalisa Lyrics in Hindi PDF

नरसिंह चालीसा की शक्ति का अनावरण: एक आध्यात्मिक यात्रा

Narsingh Chalisa is a devotional hymn dedicated to Lord Narsingh, a fierce avatar of Lord Vishnu, who symbolizes divine anger and protection. This powerful chant is part of Hindu mythology and is recited by devotees to seek blessings and protection from evil forces. In this article, we explore the significance of Narsingh Chalisa, its benefits, the rituals involved, and the deeper spiritual implications of this sacred hymn.

Narsingh Chalisa Hindi Lyrics

मास वैशाख कृतिका युत हरण मही को भार ।
शुक्ल चतुर्दशी सोम दिन लियो नरसिंह अवतार ।।
धन्य तुम्हारो सिंह तनु, धन्य तुम्हारो नाम ।
तुमरे सुमरन से प्रभु , पूरन हो सब काम ।।

नरसिंह देव में सुमरों तोहि ,
धन बल विद्या दान दे मोहि ।।1।।
जय जय नरसिंह कृपाला
करो सदा भक्तन प्रतिपाला ।।२ ।।
विष्णु के अवतार दयाला
महाकाल कालन को काला ।।३ ।।
नाम अनेक तुम्हारो बखानो
अल्प बुद्धि में ना कछु जानों ।।४।।
हिरणाकुश नृप अति अभिमानी
तेहि के भार मही अकुलानी ।।५।।
हिरणाकुश कयाधू के जाये
नाम भक्त प्रहलाद कहाये ।।६।।
भक्त बना बिष्णु को दासा
पिता कियो मारन परसाया ।।७।।
अस्त्र-शस्त्र मारे भुज दण्डा
अग्निदाह कियो प्रचंडा ।।८।।
भक्त हेतु तुम लियो अवतारा
दुष्ट-दलन हरण महिभारा ।।९।।
तुम भक्तन के भक्त तुम्हारे
प्रह्लाद के प्राण पियारे ।।१०।।
प्रगट भये फाड़कर तुम खम्भा
देख दुष्ट-दल भये अचंभा ।।११।।
खड्ग जिह्व तनु सुंदर साजा
ऊर्ध्व केश महादष्ट्र विराजा ।।12।।
तप्त स्वर्ण सम बदन तुम्हारा
को वरने तुम्हरों विस्तारा ।।13।।
रूप चतुर्भुज बदन विशाला
नख जिह्वा है अति विकराला ।।14।।
स्वर्ण मुकुट बदन अति भारी
कानन कुंडल की छवि न्यारी ।।15।।
भक्त प्रहलाद को तुमने उबारा
हिरणा कुश खल क्षण मह मारा ।।१६।।
ब्रह्मा, बिष्णु तुम्हे नित ध्यावे
इंद्र महेश सदा मन लावे ।।१७।।
वेद पुराण तुम्हरो यश गावे
शेष शारदा पारन पावे ।।१८।।
जो नर धरो तुम्हरो ध्याना
ताको होय सदा कल्याना ।।१९।।
त्राहि-त्राहि प्रभु दुःख निवारो
भव बंधन प्रभु आप ही टारो ।।२०।।
नित्य जपे जो नाम तिहारा
दुःख व्याधि हो निस्तारा ।।२१।।
संतान-हीन जो जाप कराये
मन इच्छित सो नर सुत पावे ।।२२।।
बंध्या नारी सुसंतान को पावे
नर दरिद्र धनी होई जावे ।।२३।।
जो नरसिंह का जाप करावे
ताहि विपत्ति सपनें नही आवे ।।२४।।
जो कामना करे मन माही
सब निश्चय सो सिद्ध हुई जाही ।।२५।।
जीवन मैं जो कछु संकट होई
निश्चय नरसिंह सुमरे सोई ।।२६ ।।
रोग ग्रसित जो ध्यावे कोई
ताकि काया कंचन होई ।।२७।।
डाकिनी-शाकिनी प्रेत बेताला
ग्रह-व्याधि अरु यम विकराला ।।२८।।
प्रेत पिशाच सबे भय खाए
यम के दूत निकट नहीं आवे ।।२९।।
सुमर नाम व्याधि सब भागे
रोग-शोक कबहूं नही लागे ।।३०।।
जाको नजर दोष हो भाई
सो नरसिंह चालीसा गाई ।।३१।।
हटे नजर होवे कल्याना
बचन सत्य साखी भगवाना ।।३२।।
जो नर ध्यान तुम्हारो लावे
सो नर मन वांछित फल पावे ।।३३।।
बनवाए जो मंदिर ज्ञानी
हो जावे वह नर जग मानी ।।३४।।
नित-प्रति पाठ करे इक बारा
सो नर रहे तुम्हारा प्यारा ।।३५।।
नरसिंह चालीसा जो जन गावे
दुःख दरिद्र ताके निकट न आवे ।।३६।।
चालीसा जो नर पढ़े-पढ़ावे
सो नर जग में सब कुछ पावे ।।37।।
यह श्री नरसिंह चालीसा
पढ़े रंक होवे अवनीसा ।।३८।।
जो ध्यावे सो नर सुख पावे
तोही विमुख बहु दुःख उठावे ।।३९।।
“शिव स्वरूप है शरण तुम्हारी
हरो नाथ सब विपत्ति हमारी “।।४० ।।
चारों युग गायें तेरी महिमा अपरम्पार ‍‌‍।
निज भक्तनु के प्राण हित लियो जगत अवतार ।।
नरसिंह चालीसा जो पढ़े प्रेम मगन शत बार ।
उस घर आनंद रहे वैभव बढ़े अपार ।।

।। इति श्री नरसिंह चालीसा संपूर्णम ।।

Importance and Benefits of Narsingh Chalisa

Reciting Narsingh Chalisa is believed to invoke Lord Narsingh’s protection against dangers and adversaries. It is particularly significant for those facing hardships in life and is thought to:

  • Provide Protection: Offer shielding from enemies and evil influences.
  • Instill Courage: Enhance the devotee’s bravery and resilience in the face of challenges.
  • Purify Karma: Aid in the purification of past karmic debts.

Narsingh Chalisa Rituals and Celebrations

The recitation of Narsingh Chalisa is often accompanied by specific rituals:

  • Lighting of Lamps: Devotees light oil lamps to symbolize the removal of darkness and ignorance.
  • Offerings: Sweets, fruits, and flowers are offered to the idol or image of Lord Narsingh.
  • Mantra Chanting: Alongside the Narsingh Chalisa, mantras like the Narasimha Moola Mantra are chanted to intensify the prayers.

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Free Download Narsingh/Narsimha Chalisa in Hindi PDF

नृसिंह जयंती

Pitar Chalisa in Marathi PDF

पितृ चालिसाचे आध्यात्मिक महत्त्व: पूर्वजांचे आशीर्वाद

पित्र चालिसा हा हिंदू धर्मातील पूर्वजांना (पित्रांना) समर्पित केलेला भक्ती ग्रंथ आहे. हे एखाद्याच्या पूर्वजांच्या आत्म्याचा सन्मान करण्यासाठी आणि आशीर्वाद मिळविण्यासाठी वाचले जाते, ज्यांना कुटुंबाच्या आध्यात्मिक आणि भौतिक कल्याणात महत्त्वाची भूमिका बजावली जाते असे मानले जाते. हे पोस्ट पितृ चालिसाचे महत्त्व, त्याचे फायदे, त्याच्याशी संबंधित विधी आणि त्याच्या पालनासाठी शुभ तारखा आणि मुहूर्तांसह विशिष्ट तपशील स्पष्ट करते.

पितर चालीसा मराठीत

।। दोहा ।।

हे पितरेश्वर आपको दे दियो आशीर्वाद
चरणाशीश नवा दियो रखदो सिर पर हाथ
सबसे पहले गणपत पाछे घर का देव मनावा जी
हे पितरेश्वर दया राखियो, करियो मन की चाया जी ।।

।। चौपाई ।।

पितरेश्वर करो मार्ग उजागर
चरण रज की मुक्ति सागर

परम उपकार पित्तरेश्वर कीन्हा
मनुष्य योणि में जन्म दीन्हा

मातृ-पितृ देव मन जो भावे
सोई अमित जीवन फल पावे

जै-जै-जै पित्तर जी साईं
पितृ ऋण बिन मुक्ति नाहिं

चारों ओर प्रताप तुम्हारा
संकट में तेरा ही सहारा

नारायण आधार सृष्टि का
पित्तरजी अंश उसी दृष्टि का

प्रथम पूजन प्रभु आज्ञा सुनाते
भाग्य द्वार आप ही खुलवाते

झुंझनू में दरबार है साजे
सब देवों संग आप विराजे

प्रसन्न होय मनवांछित फल दीन्हा
कुपित होय बुद्धि हर लीन्हा

पित्तर महिमा सबसे न्यारी
जिसका गुणगावे नर नारी

तीन मण्ड में आप बिराजे
बसु रुद्र आदित्य में साजे

नाथ सकल संपदा तुम्हारी
मैं सेवक समेत सुत नारी

छप्पन भोग नहीं हैं भाते
शुद्ध जल से ही तृप्त हो जाते

तुम्हारे भजन परम हितकारी
छोटे बड़े सभी अधिकारी

भानु उदय संग आप पुजावै
पांच अँजुलि जल रिझावे

ध्वज पताका मण्ड पे है साजे
अखण्ड ज्योति में आप विराजे

सदियों पुरानी ज्योति तुम्हारी
धन्य हुई जन्म भूमि हमारी

शहीद हमारे यहाँ पुजाते
मातृ भक्ति संदेश सुनाते

जगत पित्तरो सिद्धान्त हमारा
धर्म जाति का नहीं है नारा

हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई
सब पूजे पित्तर भाई

हिन्दू वंश वृक्ष है हमारा
जान से ज्यादा हमको प्यारा

गंगा ये मरुप्रदेश की
पितृ तर्पण अनिवार्य परिवेश की

बन्धु छोड़ ना इनके चरणाँ
इन्हीं की कृपा से मिले प्रभु शरणा

चौदस को जागरण करवाते
अमावस को हम धोक लगाते

जात जडूला सभी मनाते
नान्दीमुख श्राद्ध सभी करवाते

धन्य जन्म भूमि का वो फूल है
जिसे पितृ मण्डल की मिली धूल है

श्री पित्तर जी भक्त हितकारी
सुन लीजे प्रभु अरज हमारी

निशिदिन ध्यान धरे जो कोई
ता सम भक्त और नहीं कोई

तुम अनाथ के नाथ सहाई
दीनन के हो तुम सदा सहाई

चारिक वेद प्रभु के साखी
तुम भक्तन की लज्जा राखी

नाम तुम्हारो लेत जो कोई
ता सम धन्य और नहीं कोई

जो तुम्हारे नित पाँव पलोटत
नवों सिद्धि चरणा में लोटत

सिद्धि तुम्हारी सब मंगलकारी
जो तुम पे जावे बलिहारी

जो तुम्हारे चरणा चित्त लावे
ताकी मुक्ति अवसी हो जावे

सत्य भजन तुम्हारो जो गावे
सो निश्चय चारों फल पावे

तुमहिं देव कुलदेव हमारे
तुम्हीं गुरुदेव प्राण से प्यारे

सत्य आस मन में जो होई
मनवांछित फल पावें सोई

तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई
शेष सहस्र मुख सके न गाई

मैं अतिदीन मलीन दुखारी
करहुं कौन विधि विनय तुम्हारी

अब पित्तर जी दया दीन पर कीजै
अपनी भक्ति शक्ति कछु दीजै

।। दोहा ।।

पित्तरों को स्थान दो, तीरथ और स्वयं ग्राम
श्रद्धा सुमन चढ़ें वहां, पूरण हो सब काम

झुंझनू धाम विराजे हैं, पित्तर हमारे महान
दर्शन से जीवन सफल हो, पूजे सकल जहान

जीवन सफल जो चाहिए, चले झुंझनू धाम
पित्तर चरण की धूल ले, हो जीवन सफल महान

/ इति पितृ चालिसा संपते/

पितृ चालीसाचे महत्त्व

हिंदू श्रद्धेनुसार, पूर्वजांना आदराचे स्थान आहे आणि त्यांचे आशीर्वाद समृद्ध आणि अडथळामुक्त जीवनासाठी आवश्यक मानले जातात. पितृ चालिसा हे वडिलोपार्जित क्षेत्राशी जोडण्यासाठी, सुसंवादी कौटुंबिक जीवन आणि आध्यात्मिक वाढीस प्रोत्साहन देण्यासाठी एक शक्तिशाली आध्यात्मिक साधन आहे. हा कृतज्ञता व्यक्त करण्याचा आणि पूर्वजांकडून मार्गदर्शन मिळविण्याचा एक प्रकार आहे, ज्यामुळे घरावर त्यांचे निरंतर आशीर्वाद सुनिश्चित होतात.

पितृ चालिसा पठणाचे फायदे

अध्यात्मिक कनेक्शन: जिवंत कुटुंबातील सदस्य आणि त्यांचे पूर्वज यांच्यातील बंध मजबूत करते, सकारात्मक उर्जेचा स्थिर प्रवाह सुनिश्चित करते.
पूर्वजांच्या कर्मापासून संरक्षण: सध्याच्या कुटुंबातील सदस्यांवर पूर्वजांच्या भूतकाळातील कर्माचा प्रभाव कमी करण्यास मदत होते.
सुसंवाद आणि समृद्धी : नियमित पठण केल्याने पितरांना प्रसन्न करून कुटुंबात सुसंवाद, सुख आणि समृद्धी येऊ शकते.

पूर्वजांसाठी विधी

पितृ चालीसा सामान्यतः पितृ पक्षादरम्यान पाठ केला जातो, ज्या काळात हिंदू त्यांच्या पूर्वजांना श्रद्धांजली अर्पण करतात. विधींमध्ये हे समाविष्ट आहे:
तर्पण : पितरांच्या आत्म्याला तृप्त करण्यासाठी पाण्यात काळे तीळ मिसळून तर्पण अर्पण करावे.
श्राद्ध: पिंड दान (तांदळाचे गोळे अर्पण) आणि ब्राह्मणांना भोजन यांचा समावेश असलेले विधी करणे.
पित्र चालिसाचे पठण: मृत पूर्वजांच्या छायाचित्रे किंवा प्रतिकात्मक प्रतिनिधित्वासह केले जाते.
पितृ स्तोत्राचे पठण:

पितृ पक्ष 2024 तारीख आणि वेळ

पूर्वजांचा आशीर्वाद. वडिलोपार्जित कृत्ये

पितृ स्तोत्र

पितृ आरती

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Pitar Chalisa in Bengali PDF

পিত্র চালিসার আধ্যাত্মিক তাৎপর্য: পূর্বপুরুষদের আচার ও আশীর্বাদ

পিত্র চালিসা একটি ভক্তিমূলক পাঠ্য যা হিন্দুধর্মের পূর্বপুরুষদের (পিত্রদের) উদ্দেশ্যে নিবেদিত। এটি একজনের পূর্বপুরুষদের আত্মাকে সম্মান জানাতে এবং তাদের কাছ থেকে আশীর্বাদ পাওয়ার জন্য পঠিত হয়, যারা পরিবারের আধ্যাত্মিক এবং বস্তুগত সুস্থতায় গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে বলে বিশ্বাস করা হয়। এই পোস্টটি পিত্র চালিসার গুরুত্ব, এর উপকারিতা, এর সাথে সম্পর্কিত আচার এবং এর পালনের জন্য শুভ তারিখ এবং মুহুর্ত সহ নির্দিষ্ট বিবরণ ব্যাখ্যা করে।

বাংলায় পিতর চালিসা

।। दोहा ।।

हे पितरेश्वर आपको दे दियो आशीर्वाद
चरणाशीश नवा दियो रखदो सिर पर हाथ
सबसे पहले गणपत पाछे घर का देव मनावा जी
हे पितरेश्वर दया राखियो, करियो मन की चाया जी ।।

।। चौपाई ।।

पितरेश्वर करो मार्ग उजागर
चरण रज की मुक्ति सागर

परम उपकार पित्तरेश्वर कीन्हा
मनुष्य योणि में जन्म दीन्हा

मातृ-पितृ देव मन जो भावे
सोई अमित जीवन फल पावे

जै-जै-जै पित्तर जी साईं
पितृ ऋण बिन मुक्ति नाहिं

चारों ओर प्रताप तुम्हारा
संकट में तेरा ही सहारा

नारायण आधार सृष्टि का
पित्तरजी अंश उसी दृष्टि का

प्रथम पूजन प्रभु आज्ञा सुनाते
भाग्य द्वार आप ही खुलवाते

झुंझनू में दरबार है साजे
सब देवों संग आप विराजे

प्रसन्न होय मनवांछित फल दीन्हा
कुपित होय बुद्धि हर लीन्हा

पित्तर महिमा सबसे न्यारी
जिसका गुणगावे नर नारी

तीन मण्ड में आप बिराजे
बसु रुद्र आदित्य में साजे

नाथ सकल संपदा तुम्हारी
मैं सेवक समेत सुत नारी

छप्पन भोग नहीं हैं भाते
शुद्ध जल से ही तृप्त हो जाते

तुम्हारे भजन परम हितकारी
छोटे बड़े सभी अधिकारी

भानु उदय संग आप पुजावै
पांच अँजुलि जल रिझावे

ध्वज पताका मण्ड पे है साजे
अखण्ड ज्योति में आप विराजे

सदियों पुरानी ज्योति तुम्हारी
धन्य हुई जन्म भूमि हमारी

शहीद हमारे यहाँ पुजाते
मातृ भक्ति संदेश सुनाते

जगत पित्तरो सिद्धान्त हमारा
धर्म जाति का नहीं है नारा

हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई
सब पूजे पित्तर भाई

हिन्दू वंश वृक्ष है हमारा
जान से ज्यादा हमको प्यारा

गंगा ये मरुप्रदेश की
पितृ तर्पण अनिवार्य परिवेश की

बन्धु छोड़ ना इनके चरणाँ
इन्हीं की कृपा से मिले प्रभु शरणा

चौदस को जागरण करवाते
अमावस को हम धोक लगाते

जात जडूला सभी मनाते
नान्दीमुख श्राद्ध सभी करवाते

धन्य जन्म भूमि का वो फूल है
जिसे पितृ मण्डल की मिली धूल है

श्री पित्तर जी भक्त हितकारी
सुन लीजे प्रभु अरज हमारी

निशिदिन ध्यान धरे जो कोई
ता सम भक्त और नहीं कोई

तुम अनाथ के नाथ सहाई
दीनन के हो तुम सदा सहाई

चारिक वेद प्रभु के साखी
तुम भक्तन की लज्जा राखी

नाम तुम्हारो लेत जो कोई
ता सम धन्य और नहीं कोई

जो तुम्हारे नित पाँव पलोटत
नवों सिद्धि चरणा में लोटत

सिद्धि तुम्हारी सब मंगलकारी
जो तुम पे जावे बलिहारी

जो तुम्हारे चरणा चित्त लावे
ताकी मुक्ति अवसी हो जावे

सत्य भजन तुम्हारो जो गावे
सो निश्चय चारों फल पावे

तुमहिं देव कुलदेव हमारे
तुम्हीं गुरुदेव प्राण से प्यारे

सत्य आस मन में जो होई
मनवांछित फल पावें सोई

तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई
शेष सहस्र मुख सके न गाई

मैं अतिदीन मलीन दुखारी
करहुं कौन विधि विनय तुम्हारी

अब पित्तर जी दया दीन पर कीजै
अपनी भक्ति शक्ति कछु दीजै

।। दोहा ।।

पित्तरों को स्थान दो, तीरथ और स्वयं ग्राम
श्रद्धा सुमन चढ़ें वहां, पूरण हो सब काम

झुंझनू धाम विराजे हैं, पित्तर हमारे महान
दर्शन से जीवन सफल हो, पूजे सकल जहान

जीवन सफल जो चाहिए, चले झुंझनू धाम
पित्तर चरण की धूल ले, हो जीवन सफल महान

/ इति पितर चालीसा समाप्त /

পিত্র চালিসার গুরুত্ব

হিন্দু বিশ্বাসে, পূর্বপুরুষরা একটি শ্রদ্ধার স্থান ধারণ করে এবং তাদের আশীর্বাদকে একটি সমৃদ্ধ এবং বাধা-মুক্ত জীবনের জন্য অপরিহার্য বলে মনে করা হয়। পিত্র চালিসা হল একটি শক্তিশালী আধ্যাত্মিক হাতিয়ার যা পৈতৃক রাজ্যের সাথে সংযোগ স্থাপন, সুসংগত পারিবারিক জীবন এবং আধ্যাত্মিক বৃদ্ধির প্রচার করে। এটি কৃতজ্ঞতা প্রকাশ করার এবং পূর্বপুরুষদের কাছ থেকে নির্দেশনা চাওয়ার একটি রূপ, যার ফলে বাড়িতে তাদের অব্যাহত আশীর্বাদ নিশ্চিত করা হয়।

পিত্র চালিসা পাঠের উপকারিতা

আধ্যাত্মিক সংযোগ: জীবিত পরিবারের সদস্যদের এবং তাদের পূর্বপুরুষদের মধ্যে বন্ধনকে শক্তিশালী করে, ইতিবাচক শক্তির স্থির প্রবাহ নিশ্চিত করে।
পূর্বপুরুষের কর্ম থেকে সুরক্ষা: বর্তমান পরিবারের সদস্যদের উপর পূর্বপুরুষদের অতীত কর্ম্ম ঋণের প্রভাব কমাতে সাহায্য করে।
সম্প্রীতি ও সমৃদ্ধি: নিয়মিত পাঠ করলে পূর্বপুরুষদের খুশি করে পরিবারে সৌহার্দ্য, সুখ ও সমৃদ্ধি আসতে পারে।

পূর্বপুরুষদের জন্য আচার অনুষ্ঠান

পিত্র চালিসা সাধারণত পিতৃপক্ষের সময় পাঠ করা হয়, সেই সময়কালে যখন হিন্দুরা তাদের পূর্বপুরুষদের শ্রদ্ধা জানায়। আচারের মধ্যে রয়েছে:
তর্পণ: পূর্বপুরুষদের আত্মাকে সন্তুষ্ট করতে জলে কালো তিল মিশিয়ে তর্পণ নিবেদন করা উচিত।
শ্রাদ্ধ: পিন্ড দান (চালের বল নিবেদন) এবং ব্রাহ্মণদের খাবারের অন্তর্ভুক্ত অনুষ্ঠান সম্পাদন করা।
পিত্র চালিসা পাঠ: মৃত পূর্বপুরুষদের ফটোগ্রাফ বা প্রতীকী উপস্থাপনা দিয়ে করা হয়।
পিত্র স্তোত্র পাঠ:

পিতৃপক্ষ 2024 তারিখ এবং সময়

পূর্বপুরুষদের আশীর্বাদ। পূর্বপুরুষের কাজ

পিতৃ স্তোত্র

পিতর আরতি

পিতর চালিসা বাংলায় পিডিএফ ডাউনলোড করুন

Pitar Chalisa in Gujarati PDF

પિત્ર ચાલીસાનું આધ્યાત્મિક મહત્વ: પૂર્વજોના ધાર્મિક વિધિઓ અને આશીર્વાદ

પિત્ર ચાલીસા એ હિંદુ ધર્મમાં પૂર્વજો (પિત્રો) ને સમર્પિત ભક્તિ પાઠ છે. તે કોઈના પૂર્વજોની આત્માઓનું સન્માન કરવા અને આશીર્વાદ મેળવવા માટે વાંચવામાં આવે છે, જેઓ પરિવારની આધ્યાત્મિક અને ભૌતિક સુખાકારીમાં મહત્વપૂર્ણ ભૂમિકા ભજવે છે તેવું માનવામાં આવે છે. આ પોસ્ટ પિત્ર ચાલીસાનું મહત્વ, તેના ફાયદા, તેની સાથે સંકળાયેલી ધાર્મિક વિધિઓ અને તેના પાલન માટેની શુભ તારીખો અને મુહૂર્ત સહિતની ચોક્કસ વિગતો સમજાવે છે.

પિતર ચાલીસા ગુજરાતીમાં

।। दोहा ।।

हे पितरेश्वर आपको दे दियो आशीर्वाद
चरणाशीश नवा दियो रखदो सिर पर हाथ
सबसे पहले गणपत पाछे घर का देव मनावा जी
हे पितरेश्वर दया राखियो, करियो मन की चाया जी ।।

।। चौपाई ।।

पितरेश्वर करो मार्ग उजागर
चरण रज की मुक्ति सागर

परम उपकार पित्तरेश्वर कीन्हा
मनुष्य योणि में जन्म दीन्हा

मातृ-पितृ देव मन जो भावे
सोई अमित जीवन फल पावे

जै-जै-जै पित्तर जी साईं
पितृ ऋण बिन मुक्ति नाहिं

चारों ओर प्रताप तुम्हारा
संकट में तेरा ही सहारा

नारायण आधार सृष्टि का
पित्तरजी अंश उसी दृष्टि का

प्रथम पूजन प्रभु आज्ञा सुनाते
भाग्य द्वार आप ही खुलवाते

झुंझनू में दरबार है साजे
सब देवों संग आप विराजे

प्रसन्न होय मनवांछित फल दीन्हा
कुपित होय बुद्धि हर लीन्हा

पित्तर महिमा सबसे न्यारी
जिसका गुणगावे नर नारी

तीन मण्ड में आप बिराजे
बसु रुद्र आदित्य में साजे

नाथ सकल संपदा तुम्हारी
मैं सेवक समेत सुत नारी

छप्पन भोग नहीं हैं भाते
शुद्ध जल से ही तृप्त हो जाते

तुम्हारे भजन परम हितकारी
छोटे बड़े सभी अधिकारी

भानु उदय संग आप पुजावै
पांच अँजुलि जल रिझावे

ध्वज पताका मण्ड पे है साजे
अखण्ड ज्योति में आप विराजे

सदियों पुरानी ज्योति तुम्हारी
धन्य हुई जन्म भूमि हमारी

शहीद हमारे यहाँ पुजाते
मातृ भक्ति संदेश सुनाते

जगत पित्तरो सिद्धान्त हमारा
धर्म जाति का नहीं है नारा

हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई
सब पूजे पित्तर भाई

हिन्दू वंश वृक्ष है हमारा
जान से ज्यादा हमको प्यारा

गंगा ये मरुप्रदेश की
पितृ तर्पण अनिवार्य परिवेश की

बन्धु छोड़ ना इनके चरणाँ
इन्हीं की कृपा से मिले प्रभु शरणा

चौदस को जागरण करवाते
अमावस को हम धोक लगाते

जात जडूला सभी मनाते
नान्दीमुख श्राद्ध सभी करवाते

धन्य जन्म भूमि का वो फूल है
जिसे पितृ मण्डल की मिली धूल है

श्री पित्तर जी भक्त हितकारी
सुन लीजे प्रभु अरज हमारी

निशिदिन ध्यान धरे जो कोई
ता सम भक्त और नहीं कोई

तुम अनाथ के नाथ सहाई
दीनन के हो तुम सदा सहाई

चारिक वेद प्रभु के साखी
तुम भक्तन की लज्जा राखी

नाम तुम्हारो लेत जो कोई
ता सम धन्य और नहीं कोई

जो तुम्हारे नित पाँव पलोटत
नवों सिद्धि चरणा में लोटत

सिद्धि तुम्हारी सब मंगलकारी
जो तुम पे जावे बलिहारी

जो तुम्हारे चरणा चित्त लावे
ताकी मुक्ति अवसी हो जावे

सत्य भजन तुम्हारो जो गावे
सो निश्चय चारों फल पावे

तुमहिं देव कुलदेव हमारे
तुम्हीं गुरुदेव प्राण से प्यारे

सत्य आस मन में जो होई
मनवांछित फल पावें सोई

तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई
शेष सहस्र मुख सके न गाई

मैं अतिदीन मलीन दुखारी
करहुं कौन विधि विनय तुम्हारी

अब पित्तर जी दया दीन पर कीजै
अपनी भक्ति शक्ति कछु दीजै

।। दोहा ।।

पित्तरों को स्थान दो, तीरथ और स्वयं ग्राम
श्रद्धा सुमन चढ़ें वहां, पूरण हो सब काम

झुंझनू धाम विराजे हैं, पित्तर हमारे महान
दर्शन से जीवन सफल हो, पूजे सकल जहान

जीवन सफल जो चाहिए, चले झुंझनू धाम
पित्तर चरण की धूल ले, हो जीवन सफल महान

/ इति पितर चालीसा समाप्त /

પિત્ર ચાલીસાનું મહત્વ

હિન્દુ માન્યતાઓમાં, પૂર્વજો આદરનું સ્થાન ધરાવે છે અને તેમના આશીર્વાદને સમૃદ્ધ અને અવરોધ-મુક્ત જીવન માટે આવશ્યક માનવામાં આવે છે. પિત્ર ચાલીસા એ પૂર્વજોના ક્ષેત્ર સાથે જોડાવા, સુમેળભર્યા પારિવારિક જીવન અને આધ્યાત્મિક વિકાસને પ્રોત્સાહન આપવાનું એક શક્તિશાળી આધ્યાત્મિક સાધન છે. તે કૃતજ્ઞતા વ્યક્ત કરવાનો અને પૂર્વજો પાસેથી માર્ગદર્શન મેળવવાનું એક પ્રકાર છે, જેનાથી ઘર પર તેમના સતત આશીર્વાદની ખાતરી થાય છે.

પિતૃ ચાલીસાના પાઠ કરવાથી લાભ થાય છે

આધ્યાત્મિક જોડાણ: જીવંત પરિવારના સભ્યો અને તેમના પૂર્વજો વચ્ચેના બંધનને મજબૂત બનાવે છે, હકારાત્મક ઊર્જાનો સતત પ્રવાહ સુનિશ્ચિત કરે છે.
પૂર્વજોના કર્મોથી રક્ષણ: વર્તમાન પરિવારના સભ્યો પર પૂર્વજોના ભૂતકાળના કર્મના દેવાની અસર ઘટાડવામાં મદદ કરે છે.
સુમેળ અને સમૃદ્ધિ: નિયમિત પાઠ કરવાથી પૂર્વજોને પ્રસન્ન કરીને પરિવારમાં સુમેળ, સુખ અને સમૃદ્ધિ લાવી શકાય છે.

પૂર્વજો માટે ધાર્મિક વિધિઓ

પિત્ર ચાલીસાનું પઠન સામાન્ય રીતે પિતૃ પક્ષ દરમિયાન કરવામાં આવે છે, જ્યારે હિંદુઓ તેમના પૂર્વજોને શ્રદ્ધાંજલિ આપે છે. ધાર્મિક વિધિઓમાં શામેલ છે:
તર્પણઃ પિતૃઓની આત્માઓને તૃપ્ત કરવા માટે તેમને પાણીમાં કાળા તલ ભેળવીને તર્પણ અર્પણ કરવું જોઈએ.
શ્રાદ્ધ: ધાર્મિક વિધિઓ કરવી જેમાં પિંડા દાન (ચોખાના ગોળા અર્પણ) અને બ્રાહ્મણોને ભોજનનો સમાવેશ થાય છે.
પિત્ર ચાલીસાનું પઠન: મૃત પૂર્વજોના ફોટોગ્રાફ્સ અથવા પ્રતીકાત્મક રજૂઆતો સાથે કરવામાં આવે છે.

પિતૃ સ્તોત્રનો પાઠ:

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પૂર્વજોના આશીર્વાદ | પૂર્વજોના કાર્યો

પિતૃ સ્તોત્ર

પિતૃ આરતી

પિતર ચાલીસા ગુજરાતીમાં પીડીએફ ડાઉનલોડ કરો

पितर चालीसा का आध्यात्मिक महत्व: पितरों का अनुष्ठान और आशीर्वाद

पितर चालीसा हिंदू धर्म में पूर्वजों (पितरों) को समर्पित एक भक्ति पाठ है। यह अपने पूर्वजों की आत्माओं का सम्मान करने और उनसे आशीर्वाद लेने के लिए पढ़ा जाता है, जिन्हें परिवार के आध्यात्मिक और भौतिक कल्याण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए माना जाता है। यह पोस्ट पितर चालीसा के महत्व, इससे मिलने वाले लाभों, इससे जुड़े अनुष्ठानों और इसके पालन के लिए शुभ तिथियों और मुहूर्तों सहित विशिष्ट विवरणों को बताती है।

पितर चालीसा हिंदी मे

।। दोहा ।।

हे पितरेश्वर आपको दे दियो आशीर्वाद
चरणाशीश नवा दियो रखदो सिर पर हाथ
सबसे पहले गणपत पाछे घर का देव मनावा जी
हे पितरेश्वर दया राखियो, करियो मन की चाया जी ।।

।। चौपाई ।।

पितरेश्वर करो मार्ग उजागर
चरण रज की मुक्ति सागर

परम उपकार पित्तरेश्वर कीन्हा
मनुष्य योणि में जन्म दीन्हा

मातृ-पितृ देव मन जो भावे
सोई अमित जीवन फल पावे

जै-जै-जै पित्तर जी साईं
पितृ ऋण बिन मुक्ति नाहिं

चारों ओर प्रताप तुम्हारा
संकट में तेरा ही सहारा

नारायण आधार सृष्टि का
पित्तरजी अंश उसी दृष्टि का

प्रथम पूजन प्रभु आज्ञा सुनाते
भाग्य द्वार आप ही खुलवाते

झुंझनू में दरबार है साजे
सब देवों संग आप विराजे

प्रसन्न होय मनवांछित फल दीन्हा
कुपित होय बुद्धि हर लीन्हा

पित्तर महिमा सबसे न्यारी
जिसका गुणगावे नर नारी

तीन मण्ड में आप बिराजे
बसु रुद्र आदित्य में साजे

नाथ सकल संपदा तुम्हारी
मैं सेवक समेत सुत नारी

छप्पन भोग नहीं हैं भाते
शुद्ध जल से ही तृप्त हो जाते

तुम्हारे भजन परम हितकारी
छोटे बड़े सभी अधिकारी

भानु उदय संग आप पुजावै
पांच अँजुलि जल रिझावे

ध्वज पताका मण्ड पे है साजे
अखण्ड ज्योति में आप विराजे

सदियों पुरानी ज्योति तुम्हारी
धन्य हुई जन्म भूमि हमारी

शहीद हमारे यहाँ पुजाते
मातृ भक्ति संदेश सुनाते

जगत पित्तरो सिद्धान्त हमारा
धर्म जाति का नहीं है नारा

हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई
सब पूजे पित्तर भाई

हिन्दू वंश वृक्ष है हमारा
जान से ज्यादा हमको प्यारा

गंगा ये मरुप्रदेश की
पितृ तर्पण अनिवार्य परिवेश की

बन्धु छोड़ ना इनके चरणाँ
इन्हीं की कृपा से मिले प्रभु शरणा

चौदस को जागरण करवाते
अमावस को हम धोक लगाते

जात जडूला सभी मनाते
नान्दीमुख श्राद्ध सभी करवाते

धन्य जन्म भूमि का वो फूल है
जिसे पितृ मण्डल की मिली धूल है

श्री पित्तर जी भक्त हितकारी
सुन लीजे प्रभु अरज हमारी

निशिदिन ध्यान धरे जो कोई
ता सम भक्त और नहीं कोई

तुम अनाथ के नाथ सहाई
दीनन के हो तुम सदा सहाई

चारिक वेद प्रभु के साखी
तुम भक्तन की लज्जा राखी

नाम तुम्हारो लेत जो कोई
ता सम धन्य और नहीं कोई

जो तुम्हारे नित पाँव पलोटत
नवों सिद्धि चरणा में लोटत

सिद्धि तुम्हारी सब मंगलकारी
जो तुम पे जावे बलिहारी

जो तुम्हारे चरणा चित्त लावे
ताकी मुक्ति अवसी हो जावे

सत्य भजन तुम्हारो जो गावे
सो निश्चय चारों फल पावे

तुमहिं देव कुलदेव हमारे
तुम्हीं गुरुदेव प्राण से प्यारे

सत्य आस मन में जो होई
मनवांछित फल पावें सोई

तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई
शेष सहस्र मुख सके न गाई

मैं अतिदीन मलीन दुखारी
करहुं कौन विधि विनय तुम्हारी

अब पित्तर जी दया दीन पर कीजै
अपनी भक्ति शक्ति कछु दीजै

।। दोहा ।।

पित्तरों को स्थान दो, तीरथ और स्वयं ग्राम
श्रद्धा सुमन चढ़ें वहां, पूरण हो सब काम

झुंझनू धाम विराजे हैं, पित्तर हमारे महान
दर्शन से जीवन सफल हो, पूजे सकल जहान

जीवन सफल जो चाहिए, चले झुंझनू धाम
पित्तर चरण की धूल ले, हो जीवन सफल महान

/ इति पितर चालीसा समाप्त /

पितर चालीसा का महत्व

हिंदू मान्यता में, पूर्वजों को पूजनीय स्थान प्राप्त है और उनका आशीर्वाद समृद्ध और बाधा-मुक्त जीवन के लिए आवश्यक माना जाता है। पितर चालीसा पैतृक क्षेत्र से जुड़ने, सामंजस्यपूर्ण पारिवारिक जीवन और आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देने का एक शक्तिशाली आध्यात्मिक उपकरण है। यह कृतज्ञता व्यक्त करने और पितरों से मार्गदर्शन प्राप्त करने का एक रूप है, जिससे घर पर उनका निरंतर आशीर्वाद सुनिश्चित होता है।

पितर चालीसा का पाठ करने के लाभ

आध्यात्मिक संबंध: जीवित परिवार के सदस्यों और उनके पूर्वजों के बीच बंधन को मजबूत करता है, जिससे सकारात्मक ऊर्जा का स्थिर प्रवाह सुनिश्चित होता है।
पैतृक कर्मों से सुरक्षा: वर्तमान परिवार के सदस्यों पर पूर्वजों के पिछले कर्म ऋणों के प्रभाव को कम करने में मदद करता है।
सद्भाव और समृद्धि: नियमित पाठ से पूर्वजों को प्रसन्न करके परिवार में सद्भाव, खुशी और समृद्धि लाई जा सकती है।

पितरों के निमित्त अनुष्ठान

पितर चालीसा का पाठ आमतौर पर पितृ पक्ष के दौरान किया जाता है, वह अवधि जब हिंदू अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि देते हैं। अनुष्ठानों में शामिल हैं:
तर्पण: पितरों की आत्मा की तृप्ति के लिए उन्हें जल में काले तिल मिलाकर तर्पण करना चाहिए।
श्राद्ध: अनुष्ठान करना जिसमें पिंड दान (चावल के गोले चढ़ाना) और ब्राह्मणों के लिए भोजन शामिल है।
पितर चालीसा का पाठ: मृत पूर्वजों की तस्वीरों या प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व के साथ किया जाता है।
पितृ स्तोत्र का पाठ:

पितृ पक्ष 2024 तिथि एवं मुहूर्त

पूर्वजों का आशीर्वाद | पैतृक कर्म

पितृ स्तोत्र

पितर आरती

पितर चालीसा हिंदी मे पीडीऍफ़ डाउनलोड करे

Pitra Chalisa : Connect with Ancestors for Harmony and Blessings

Pitra Chalisa is a devotional text dedicated to ancestors (pitras) in Hinduism. It is read to honor and seek blessings from the spirits of one’s ancestors, who are believed to play an important role in the spiritual and material well-being of the family. This post explains the importance of Pitra Chalisa, its benefits, rituals associated with it and specific details including the auspicious dates and muhurtas for its observance.

Pitra Chalisa in Hindi Lyrics

।। दोहा ।।

हे पितरेश्वर आपको दे दियो आशीर्वाद
चरणाशीश नवा दियो रखदो सिर पर हाथ
सबसे पहले गणपत पाछे घर का देव मनावा जी
हे पितरेश्वर दया राखियो, करियो मन की चाया जी ।।

।। चौपाई ।।

पितरेश्वर करो मार्ग उजागर
चरण रज की मुक्ति सागर

परम उपकार पित्तरेश्वर कीन्हा
मनुष्य योणि में जन्म दीन्हा

मातृ-पितृ देव मन जो भावे
सोई अमित जीवन फल पावे

जै-जै-जै पित्तर जी साईं
पितृ ऋण बिन मुक्ति नाहिं

चारों ओर प्रताप तुम्हारा
संकट में तेरा ही सहारा

नारायण आधार सृष्टि का
पित्तरजी अंश उसी दृष्टि का

प्रथम पूजन प्रभु आज्ञा सुनाते
भाग्य द्वार आप ही खुलवाते

झुंझनू में दरबार है साजे
सब देवों संग आप विराजे

प्रसन्न होय मनवांछित फल दीन्हा
कुपित होय बुद्धि हर लीन्हा

पित्तर महिमा सबसे न्यारी
जिसका गुणगावे नर नारी

तीन मण्ड में आप बिराजे
बसु रुद्र आदित्य में साजे

नाथ सकल संपदा तुम्हारी
मैं सेवक समेत सुत नारी

छप्पन भोग नहीं हैं भाते
शुद्ध जल से ही तृप्त हो जाते

तुम्हारे भजन परम हितकारी
छोटे बड़े सभी अधिकारी

भानु उदय संग आप पुजावै
पांच अँजुलि जल रिझावे

ध्वज पताका मण्ड पे है साजे
अखण्ड ज्योति में आप विराजे

सदियों पुरानी ज्योति तुम्हारी
धन्य हुई जन्म भूमि हमारी

शहीद हमारे यहाँ पुजाते
मातृ भक्ति संदेश सुनाते

जगत पित्तरो सिद्धान्त हमारा
धर्म जाति का नहीं है नारा

हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई
सब पूजे पित्तर भाई

हिन्दू वंश वृक्ष है हमारा
जान से ज्यादा हमको प्यारा

गंगा ये मरुप्रदेश की
पितृ तर्पण अनिवार्य परिवेश की

बन्धु छोड़ ना इनके चरणाँ
इन्हीं की कृपा से मिले प्रभु शरणा

चौदस को जागरण करवाते
अमावस को हम धोक लगाते

जात जडूला सभी मनाते
नान्दीमुख श्राद्ध सभी करवाते

धन्य जन्म भूमि का वो फूल है
जिसे पितृ मण्डल की मिली धूल है

श्री पित्तर जी भक्त हितकारी
सुन लीजे प्रभु अरज हमारी

निशिदिन ध्यान धरे जो कोई
ता सम भक्त और नहीं कोई

तुम अनाथ के नाथ सहाई
दीनन के हो तुम सदा सहाई

चारिक वेद प्रभु के साखी
तुम भक्तन की लज्जा राखी

नाम तुम्हारो लेत जो कोई
ता सम धन्य और नहीं कोई

जो तुम्हारे नित पाँव पलोटत
नवों सिद्धि चरणा में लोटत

सिद्धि तुम्हारी सब मंगलकारी
जो तुम पे जावे बलिहारी

जो तुम्हारे चरणा चित्त लावे
ताकी मुक्ति अवसी हो जावे

सत्य भजन तुम्हारो जो गावे
सो निश्चय चारों फल पावे

तुमहिं देव कुलदेव हमारे
तुम्हीं गुरुदेव प्राण से प्यारे

सत्य आस मन में जो होई
मनवांछित फल पावें सोई

तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई
शेष सहस्र मुख सके न गाई

मैं अतिदीन मलीन दुखारी
करहुं कौन विधि विनय तुम्हारी

अब पित्तर जी दया दीन पर कीजै
अपनी भक्ति शक्ति कछु दीजै

।। दोहा ।।

पित्तरों को स्थान दो, तीरथ और स्वयं ग्राम
श्रद्धा सुमन चढ़ें वहां, पूरण हो सब काम

झुंझनू धाम विराजे हैं, पित्तर हमारे महान
दर्शन से जीवन सफल हो, पूजे सकल जहान

जीवन सफल जो चाहिए, चले झुंझनू धाम
पित्तर चरण की धूल ले, हो जीवन सफल महान

/ इति पितर चालीसा समाप्त /

Importance of Pitar Chalisa

In Hindu belief, ancestors hold a place of reverence and their blessings are considered essential for a prosperous and obstacle-free life. Pitra Chalisa is a powerful spiritual tool to connect with the ancestral realm, promote harmonious family life and spiritual growth. It is a form of expressing gratitude and seeking guidance from the ancestors, thereby ensuring their continued blessings on the home.

Benefits of reciting Pitra Chalisa

Spiritual Connection: Strengthens the bond between living family members and their ancestors, ensuring a steady flow of positive energy.
Protection from Ancestral Karmas: Helps in reducing the impact of past karmic debts of ancestors on present family members.
Harmony and Prosperity: Regular recitation can bring harmony, happiness and prosperity to the family by propitiating the ancestors.

Rituals for Ancestors

Pitar Chalisa is usually recited during Pitru Paksha, the period when Hindus pay homage to their ancestors. Rituals include:
Tarpan: To satisfy the souls of ancestors, they should be offered tarpan by mixing black sesame seeds in water.
Shraddha: Performing rituals that include Pinda Daan (offering of rice balls) and food to Brahmins.
Recitation of Pitra Chalisa: Is done with photographs or symbolic representations of deceased ancestors.

Pitru Paksha 2024 date and time

Blessings of ancestors | ancestral deeds

Pitru Stotra in Hindi PDF

Pitar Aarti in Hindi PDF

Pitra Chalisa in Hindi PDF Download

শ্রী লক্ষ্মী চালীসা

Laxmi Chalisa in Punjabi

॥ শ্রী লক্ষ্মী চালীসা ॥
দোহা

মাতু লক্ষ্মী করি কৃপা করো হৃদয় মেং বাস ।
মনো কামনা সিদ্ধ কর পুরবহু মেরী আস ॥

সিংধু সুতা বিষ্ণুপ্রিয়ে নত শির বারংবার ।
ঋদ্ধি সিদ্ধি মংগলপ্রদে নত শির বারংবার ॥ টেক ॥

সিন্ধু সুতা মৈং সুমিরৌং তোহী । জ্ঞান বুদ্ধি বিদ্যা দো মোহি ॥

তুম সমান নহিং কোঈ উপকারী । সব বিধি পুরবহু আস হমারী ॥

জৈ জৈ জগত জননি জগদম্বা । সবকে তুমহী হো স্বলম্বা ॥

তুম হী হো ঘট ঘট কে বাসী । বিনতী য়হী হমারী খাসী ॥

জগ জননী জয় সিন্ধু কুমারী । দীনন কী তুম হো হিতকারী ॥

বিনবৌং নিত্য তুমহিং মহারানী । কৃপা করৌ জগ জননি ভবানী ॥

কেহি বিধি স্তুতি করৌং তিহারী । সুধি লীজৈ অপরাধ বিসারী ॥

কৃপা দৃষ্টি চিতবো মম ওরী । জগত জননি বিনতী সুন মোরী ॥

জ্ঞান বুদ্ধি জয় সুখ কী দাতা । সংকট হরো হমারী মাতা ॥

ক্ষীর সিংধু জব বিষ্ণু মথায়ো । চৌদহ রত্ন সিংধু মেং পায়ো ॥

চৌদহ রত্ন মেং তুম সুখরাসী । সেবা কিয়ো প্রভুহিং বনি দাসী ॥

জব জব জন্ম জহাং প্রভু লীন্হা । রূপ বদল তহং সেবা কীন্হা ॥

স্বয়ং বিষ্ণু জব নর তনু ধারা । লীন্হেউ অবধপুরী অবতারা ॥

তব তুম প্রকট জনকপুর মাহীং । সেবা কিয়ো হৃদয় পুলকাহীং ॥

অপনায়ো তোহি অন্তর্যামী । বিশ্ব বিদিত ত্রিভুবন কী স্বামী ॥

তুম সব প্রবল শক্তি নহিং আনী । কহঁ তক মহিমা কহৌং বখানী ॥

মন ক্রম বচন করৈ সেবকাঈ । মন-ইচ্ছিত বাংছিত ফল পাঈ ॥

তজি ছল কপট ঔর চতুরাঈ । পূজহিং বিবিধ ভাঁতি মন লাঈ ॥

ঔর হাল মৈং কহৌং বুঝাঈ । জো য়হ পাঠ করে মন লাঈ ॥

তাকো কোঈ কষ্ট ন হোঈ । মন ইচ্ছিত ফল পাবৈ ফল সোঈ ॥

ত্রাহি-ত্রাহি জয় দুঃখ নিবারিণী । ত্রিবিধ তাপ ভব বংধন হারিণি ॥

জো য়হ চালীসা পঢ़ে ঔর পঢ़াবে । ইসে ধ্যান লগাকর সুনে সুনাবৈ ॥

তাকো কোঈ ন রোগ সতাবৈ । পুত্র আদি ধন সম্পত্তি পাবৈ ॥

পুত্র হীন ঔর সম্পত্তি হীনা । অন্ধা বধির কোঢ़ী অতি দীনা ॥

বিপ্র বোলায় কৈ পাঠ করাবৈ । শংকা দিল মেং কভী ন লাবৈ ॥

পাঠ করাবৈ দিন চালীসা । তা পর কৃপা করৈং গৌরীসা ॥

সুখ সম্পত্তি বহুত সী পাবৈ । কমী নহীং কাহূ কী আবৈ ॥

বারহ মাস করৈ জো পূজা । তেহি সম ধন্য ঔর নহিং দূজা ॥

প্রতিদিন পাঠ করৈ মন মাহীং । উন সম কোঈ জগ মেং নাহিং ॥

বহু বিধি ক্যা মৈং করৌং বড़াঈ । লেয় পরীক্ষা ধ্যান লগাঈ ॥

করি বিশ্বাস করৈং ব্রত নেমা । হোয় সিদ্ধ উপজৈ উর প্রেমা ॥

জয় জয় জয় লক্ষ্মী মহারানী । সব মেং ব্যাপিত জো গুণ খানী ॥

তুম্হরো তেজ প্রবল জগ মাহীং । তুম সম কোউ দয়াল কহূঁ নাহীং ॥

মোহি অনাথ কী সুধি অব লীজৈ । সংকট কাটি ভক্তি মোহি দীজে ॥

ভূল চূক করী ক্ষমা হমারী । দর্শন দীজৈ দশা নিহারী ॥

বিন দরশন ব্যাকুল অধিকারী । তুমহিং অক্ষত দুঃখ সহতে ভারী ॥

নহিং মোহিং জ্ঞান বুদ্ধি হৈ তন মেং । সব জানত হো অপনে মন মেং ॥

রূপ চতুর্ভুজ করকে ধারণ । কষ্ট মোর অব করহু নিবারণ ॥

কহি প্রকার মৈং করৌং বড़াঈ । জ্ঞান বুদ্ধি মোহিং নহিং অধিকাঈ ॥

রামদাস অব কহৈ পুকারী । করো দূর তুম বিপতি হমারী ॥

দোহা

ত্রাহি ত্রাহি দুঃখ হারিণী হরো বেগি সব ত্রাস ।
জয়তি জয়তি জয় লক্ষ্মী করো শত্রুন কা নাশ ॥

রামদাস ধরি ধ্যান নিত বিনয় করত কর জোর ।
মাতু লক্ষ্মী দাস পর করহু দয়া কী কোর ॥

বাংলায় লক্ষ্মী চিলিয়া PDF

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શ્રી લક્ષ્મી ચાલીસા

Laxmi Chalisa in Gujarati

દોહા

માતુ લક્ષ્મી કરિ કૃપા કરો હૃદય મેં વાસ ।
મનો કામના સિદ્ધ કર પુરવહુ મેરી આસ ॥

સિંધુ સુતા વિષ્ણુપ્રિયે નત શિર બારંબાર ।
ઋદ્ધિ સિદ્ધિ મંગલપ્રદે નત શિર બારંબાર ॥ ટેક ॥

સિન્ધુ સુતા મૈં સુમિરૌં તોહી । જ્ઞાન બુદ્ધિ વિદ્યા દો મોહિ ॥

તુમ સમાન નહિં કોઈ ઉપકારી । સબ વિધિ પુરબહુ આસ હમારી ॥

જૈ જૈ જગત જનનિ જગદમ્બા । સબકે તુમહી હો સ્વલમ્બા ॥

તુમ હી હો ઘટ ઘટ કે વાસી । વિનતી યહી હમારી ખાસી ॥

જગ જનની જય સિન્ધુ કુમારી । દીનન કી તુમ હો હિતકારી ॥

વિનવૌં નિત્ય તુમહિં મહારાની । કૃપા કરૌ જગ જનનિ ભવાની ॥

કેહિ વિધિ સ્તુતિ કરૌં તિહારી । સુધિ લીજૈ અપરાધ બિસારી ॥

કૃપા દૃષ્ટિ ચિતવો મમ ઓરી । જગત જનનિ વિનતી સુન મોરી ॥

જ્ઞાન બુદ્ધિ જય સુખ કી દાતા । સંકટ હરો હમારી માતા ॥

ક્ષીર સિંધુ જબ વિષ્ણુ મથાયો । ચૌદહ રત્ન સિંધુ મેં પાયો ॥

ચૌદહ રત્ન મેં તુમ સુખરાસી । સેવા કિયો પ્રભુહિં બનિ દાસી ॥

જબ જબ જન્મ જહાં પ્રભુ લીન્હા । રૂપ બદલ તહં સેવા કીન્હા ॥

સ્વયં વિષ્ણુ જબ નર તનુ ધારા । લીન્હેઉ અવધપુરી અવતારા ॥

તબ તુમ પ્રકટ જનકપુર માહીં । સેવા કિયો હૃદય પુલકાહીં ॥

અપનાયો તોહિ અન્તર્યામી । વિશ્વ વિદિત ત્રિભુવન કી સ્વામી ॥

તુમ સબ પ્રબલ શક્તિ નહિં આની । કહઁ તક મહિમા કહૌં બખાની ॥

મન ક્રમ વચન કરૈ સેવકાઈ । મન-ઇચ્છિત વાંછિત ફલ પાઈ ॥

તજિ છલ કપટ ઔર ચતુરાઈ । પૂજહિં વિવિધ ભાઁતિ મન લાઈ ॥

ઔર હાલ મૈં કહૌં બુઝાઈ । જો યહ પાઠ કરે મન લાઈ ॥

તાકો કોઈ કષ્ટ ન હોઈ । મન ઇચ્છિત ફલ પાવૈ ફલ સોઈ ॥

ત્રાહિ-ત્રાહિ જય દુઃખ નિવારિણી । ત્રિવિધ તાપ ભવ બંધન હારિણિ ॥

જો યહ ચાલીસા પઢ़ે ઔર પઢ़ાવે । ઇસે ધ્યાન લગાકર સુને સુનાવૈ ॥

તાકો કોઈ ન રોગ સતાવૈ । પુત્ર આદિ ધન સમ્પત્તિ પાવૈ ॥

પુત્ર હીન ઔર સમ્પત્તિ હીના । અન્ધા બધિર કોઢ़ી અતિ દીના ॥

વિપ્ર બોલાય કૈ પાઠ કરાવૈ । શંકા દિલ મેં કભી ન લાવૈ ॥

પાઠ કરાવૈ દિન ચાલીસા । તા પર કૃપા કરૈં ગૌરીસા ॥

સુખ સમ્પત્તિ બહુત સી પાવૈ । કમી નહીં કાહૂ કી આવૈ ॥

બારહ માસ કરૈ જો પૂજા । તેહિ સમ ધન્ય ઔર નહિં દૂજા ॥

પ્રતિદિન પાઠ કરૈ મન માહીં । ઉન સમ કોઈ જગ મેં નાહિં ॥

બહુ વિધિ ક્યા મૈં કરૌં બડ़ાઈ । લેય પરીક્ષા ધ્યાન લગાઈ ॥

કરિ વિશ્વાસ કરૈં વ્રત નેમા । હોય સિદ્ધ ઉપજૈ ઉર પ્રેમા ॥

જય જય જય લક્ષ્મી મહારાની । સબ મેં વ્યાપિત જો ગુણ ખાની ॥

તુમ્હરો તેજ પ્રબલ જગ માહીં । તુમ સમ કોઉ દયાલ કહૂઁ નાહીં ॥

મોહિ અનાથ કી સુધિ અબ લીજૈ । સંકટ કાટિ ભક્તિ મોહિ દીજે ॥

ભૂલ ચૂક કરી ક્ષમા હમારી । દર્શન દીજૈ દશા નિહારી ॥

બિન દરશન વ્યાકુલ અધિકારી । તુમહિં અક્ષત દુઃખ સહતે ભારી ॥

નહિં મોહિં જ્ઞાન બુદ્ધિ હૈ તન મેં । સબ જાનત હો અપને મન મેં ॥

રૂપ ચતુર્ભુજ કરકે ધારણ । કષ્ટ મોર અબ કરહુ નિવારણ ॥

કહિ પ્રકાર મૈં કરૌં બડ़ાઈ । જ્ઞાન બુદ્ધિ મોહિં નહિં અધિકાઈ ॥

રામદાસ અબ કહૈ પુકારી । કરો દૂર તુમ વિપતિ હમારી ॥

દોહા

ત્રાહિ ત્રાહિ દુઃખ હારિણી હરો બેગિ સબ ત્રાસ ।
જયતિ જયતિ જય લક્ષ્મી કરો શત્રુન કા નાશ ॥

રામદાસ ધરિ ધ્યાન નિત વિનય કરત કર જોર ।
માતુ લક્ષ્મી દાસ પર કરહુ દયા કી કોર ॥

લક્ષ્મી ચાલીસજી માં ગુજારે PDF Download

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Shri Vishnu Chalisa

Shri Vishnu Chalisa in Sanskrit/Hindi

।।दोहा।।

विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय ।
कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय ॥

।।चौपाई।।

नमो विष्णु भगवान खरारी,कष्ट नशावन अखिल बिहारी ।
प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी,त्रिभुवन फैल रही उजियारी ॥1॥

सुन्दर रूप मनोहर सूरत,सरल स्वभाव मोहनी मूरत ।
तन पर पीताम्बर अति सोहत,बैजन्ती माला मन मोहत ॥2॥

शंख चक्र कर गदा बिराजे,देखत दैत्य असुर दल भाजे ।
सत्य धर्म मद लोभ न गाजे,काम क्रोध मद लोभ न छाजे ॥3॥

सन्तभक्त सज्जन मनरंजन,दनुज असुर दुष्टन दल गंजन ।
सुख उपजाय कष्ट सब भंजन,दोष मिटाय करत जन सज्जन ॥4॥

पाप काट भव सिन्धु उतारण,कष्ट नाशकर भक्त उबारण ।
करत अनेक रूप प्रभु धारण,केवल आप भक्ति के कारण ॥5॥

धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा,तब तुम रूप राम का धारा ।
भार उतार असुर दल मारा,रावण आदिक को संहारा ॥6॥

आप वाराह रूप बनाया,हरण्याक्ष को मार गिराया ।
धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया,चौदह रतनन को निकलाया ॥7॥

अमिलख असुरन द्वन्द मचाया,रूप मोहनी आप दिखाया ।
देवन को अमृत पान कराया,असुरन को छवि से बहलाया ॥8॥

कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया,मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया ।
शंकर का तुम फन्द छुड़ाया,भस्मासुर को रूप दिखाया ॥9॥

वेदन को जब असुर डुबाया,कर प्रबन्ध उन्हें ढुढवाया ।
मोहित बनकर खलहि नचाया,उसही कर से भस्म कराया ॥10॥

असुर जलन्धर अति बलदाई,शंकर से उन कीन्ह लडाई ।
हार पार शिव सकल बनाई,कीन सती से छल खल जाई ॥11॥

सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी,बतलाई सब विपत कहानी ।
तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी,वृन्दा की सब सुरति भुलानी ॥12॥

देखत तीन दनुज शैतानी,वृन्दा आय तुम्हें लपटानी ।
हो स्पर्श धर्म क्षति मानी,हना असुर उर शिव शैतानी ॥13॥

तुमने ध्रुव प्रहलाद उबारे,हिरणाकुश आदिक खल मारे ।
गणिका और अजामिल तारे,बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे ॥14॥

हरहु सकल संताप हमारे,कृपा करहु हरि सिरजन हारे ।
देखहुं मैं निज दरश तुम्हारे,दीन बन्धु भक्तन हितकारे ॥15॥

चहत आपका सेवक दर्शन,करहु दया अपनी मधुसूदन ।
जानूं नहीं योग्य जब पूजन,होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन ॥16॥

शीलदया सन्तोष सुलक्षण,विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण ।
करहुं आपका किस विधि पूजन,कुमति विलोक होत दुख भीषण ॥17॥

करहुं प्रणाम कौन विधिसुमिरण,कौन भांति मैं करहु समर्पण ।
सुर मुनि करत सदा सेवकाईहर्षित रहत परम गति पाई ॥18॥

दीन दुखिन पर सदा सहाई,निज जन जान लेव अपनाई ।
पाप दोष संताप नशाओ,भव बन्धन से मुक्त कराओ ॥19॥

सुत सम्पति दे सुख उपजाओ,निज चरनन का दास बनाओ ।
निगम सदा ये विनय सुनावै,पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै ॥20॥

Benefits of Shri Vishnu Chalisa

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श्री विष्णु चालीसा

श्री विष्णु चालीसा संस्कृत/हिंदी में

।।दोहा।।

विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय ।
कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय ॥

।।चौपाई।।

नमो विष्णु भगवान खरारी,कष्ट नशावन अखिल बिहारी ।
प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी,त्रिभुवन फैल रही उजियारी ॥1॥

सुन्दर रूप मनोहर सूरत,सरल स्वभाव मोहनी मूरत ।
तन पर पीताम्बर अति सोहत,बैजन्ती माला मन मोहत ॥2॥

शंख चक्र कर गदा बिराजे,देखत दैत्य असुर दल भाजे ।
सत्य धर्म मद लोभ न गाजे,काम क्रोध मद लोभ न छाजे ॥3॥

सन्तभक्त सज्जन मनरंजन,दनुज असुर दुष्टन दल गंजन ।
सुख उपजाय कष्ट सब भंजन,दोष मिटाय करत जन सज्जन ॥4॥

पाप काट भव सिन्धु उतारण,कष्ट नाशकर भक्त उबारण ।
करत अनेक रूप प्रभु धारण,केवल आप भक्ति के कारण ॥5॥

धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा,तब तुम रूप राम का धारा ।
भार उतार असुर दल मारा,रावण आदिक को संहारा ॥6॥

आप वाराह रूप बनाया,हरण्याक्ष को मार गिराया ।
धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया,चौदह रतनन को निकलाया ॥7॥

अमिलख असुरन द्वन्द मचाया,रूप मोहनी आप दिखाया ।
देवन को अमृत पान कराया,असुरन को छवि से बहलाया ॥8॥

कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया,मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया ।
शंकर का तुम फन्द छुड़ाया,भस्मासुर को रूप दिखाया ॥9॥

वेदन को जब असुर डुबाया,कर प्रबन्ध उन्हें ढुढवाया ।
मोहित बनकर खलहि नचाया,उसही कर से भस्म कराया ॥10॥

असुर जलन्धर अति बलदाई,शंकर से उन कीन्ह लडाई ।
हार पार शिव सकल बनाई,कीन सती से छल खल जाई ॥11॥

सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी,बतलाई सब विपत कहानी ।
तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी,वृन्दा की सब सुरति भुलानी ॥12॥

देखत तीन दनुज शैतानी,वृन्दा आय तुम्हें लपटानी ।
हो स्पर्श धर्म क्षति मानी,हना असुर उर शिव शैतानी ॥13॥

तुमने ध्रुव प्रहलाद उबारे,हिरणाकुश आदिक खल मारे ।
गणिका और अजामिल तारे,बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे ॥14॥

हरहु सकल संताप हमारे,कृपा करहु हरि सिरजन हारे ।
देखहुं मैं निज दरश तुम्हारे,दीन बन्धु भक्तन हितकारे ॥15॥

चहत आपका सेवक दर्शन,करहु दया अपनी मधुसूदन ।
जानूं नहीं योग्य जब पूजन,होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन ॥16॥

शीलदया सन्तोष सुलक्षण,विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण ।
करहुं आपका किस विधि पूजन,कुमति विलोक होत दुख भीषण ॥17॥

करहुं प्रणाम कौन विधिसुमिरण,कौन भांति मैं करहु समर्पण ।
सुर मुनि करत सदा सेवकाईहर्षित रहत परम गति पाई ॥18॥

दीन दुखिन पर सदा सहाई,निज जन जान लेव अपनाई ।
पाप दोष संताप नशाओ,भव बन्धन से मुक्त कराओ ॥19॥

सुत सम्पति दे सुख उपजाओ,निज चरनन का दास बनाओ ।
निगम सदा ये विनय सुनावै,पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै ॥20॥

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